पश्चाताप

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अभी कुछ ही देर हुई थी दीपक को घर से गए कि सुमन ने फिर से बूढ़ी सास पर तंज कसा, "बेटा चला गया ना, तो अब तुझे कहना पड़ेगा, तीन दिन तो आराम फरमा लिया" यह कहते हुए सुमन, सास के आगे कपड़ों का ढेर पटक गई lबूढ़े और कमजोर घुटनों से जैसे तैसे वो कपड़े धोने बैठ ही रही थी कि तभी दीपक आ गया और हंसकर कहने लगा, "मां... लाओ मैं धो दूँ, तुम थक गई होगी "l बूढ़ी आंखें भर आईं और आंसू भरी आंखों से वो छोटे दीपक की यादें कहीं गायब हो गई lजैसे