अब वो खुश हैं...

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रसोई में बर्तनों की खटर-पटर से नीला की आँख खुल गई। बगल में रखी अलार्म-घड़ी देखी तो हड़बड़ा कर उठ गई...ओ माँ! आज साढ़े छः बजे तक सोती रह गई...। ये अलार्म क्यों नहीं बजा...? पर ये सब सोचने का वक़्त नहीं था उसके पास...। बालों का जूड़ा बाँधती वो तेज़ी से रसोई में लपकी, मम्मी, आप ये सब रहने दीजिए...आज पता नहीं घड़ी क्या गड़बड़ हो गई, अलार्म बजा ही नहीं, वरना मैं तो कब की काम निपटा चुकी होती...। आप जाकर बैठिए, मैं बस पाँच मिनट में फ़्रेश हो कर बाकी काम निपटा देती हूँ...।