दंश.

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सनेही के हाथ से मशीन का हत्था (हैन्डिल) आज फिसल-फिसल जा रहा है । ऐसा तो पहले दिन भी नहीं हुआ था जब बड़े साहब ने उसे मशीन का हत्था हाथ में पकड़ा कर घास काटना सिखाया था । पहली मर्तबा मशीन पकड़ते वक्त उसके हाथ काँप रहे थे । मशीन और साहब दोनों का डर था । ऐसा नहीं कि उसने पहले कभी घास नहीं काटी थी । काटी थी, अनेक बार काटी थी । गाँव में बरसात के महीनों में लम्बी-लम्बी घास उसे हसिया से काटनी पड़ती थी । उसने घास छीली भी थी। लेकिन बंगले के बगीचे में नहीं । खेतों में, मेडों पर, चकरोटों पर - खुरपी से ।