व्यवधान

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एक फूल का मिट जाना हीं उपवन का अवसान नहीं,एक रोध का टिक जाना हीं विच्छेदित अवधान नहीं । जिन्हें चाह है इस जीवन में स्वर्णिम भोर उजाले की,उन राहों पे स्वागत करते घटाटोप अन्धियारे भी।इन घटाटोप अंधियारों का संज्ञान अति आवश्यक है,गर तम से मन में भय व्याप्त हो सारे श्रम निरर्थक है। आड़ी तिरछी गलियों में लुकछिप कर रहना त्राण नहीं,एक रोध का टिक जाना हीं विच्छेदित अवधान नहीं । इस जीवन में आये हो तो अरिदल के भी वाण चलेंगे,जिह्वा उनकी आग उगलती वाणी से अपमान फ़लेगे।आंखों में चिनगारी तो क्या मन मे उनके विष गरल हो,उनके