अपना अपना हिस्सा

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तकरीबन 50 साल पहले वो इलाका शहर का बाहरी भाग था,जहाँ के रहवासी प्रायः खेतिहर मजदूर थे या फिर कुछेक के पास बहुत थोड़ी जमीन थी,जिसमे वे खेती किया करते थे .उनका रहन सहन ठेठ देहाती था .इस इलाके के युवा और बुजुर्ग शहर में जाकर मिस्त्री,बढ़ई और पेंटर का काम किया करते ,उनकी ओरतें घरो में झाड़ू पोछा करके कमाती थीं . मर्दो की कमाई का बड़ा हिस्सा शराबखोरी में खर्च हो जाता . ओरतों के भरोसे बच्चो की परवरिश होती . इन्ही के बीच का एक पात्र है रामधनी. जिसके बाप की बहुत थोड़ी जमीन थी और