जंगल

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ये कहानी तब की है, जब उसे जंगल में जाकर प्रत्यक्ष शेर, चीता, भालू देखने का शौक उपजा था शहर के किनारे एक होटल था। वह उसी होटल में काम करता था। जंगल का रास्ता उसी होटल के सामने से जाता था। उस रास्ते को देखते ही उसके मन में हूक उठनी शुरू हो जाती थी। शहर के रईसजादे उसी रास्ते से सूमों या स्कारपियो में बैठ कर सांय से जंगल की तरफ निकल जाते थे। यह पल उसके लिए बहुत दु:खद होता था। काम करते उसके हाथ रुक जाते थे। मन में एक जोर की इच्छा घुमड़ती थी कि दौड़कर गाड़ी के पीछे लटक जाए, पर उनकी तेज रफ्तार में उसका हृदय डूबने लगता था।