नई सुबह

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“टन-टन...” दीवार पर टंगी घड़ी ने समय बताया तो चौंक कर सिर ऊपर कर वैशाली बड़बड़ाई, “उफ़.! आज फिर लेट हो गयी, ये क्लोजिंग का काम भी ना, कितना टाइम लग जाता है, इतना बड़ा स्टाफ है ! मगर एरिया मैनेजर हूँ ना, सबको फुर्सत मिल जाएगी मुझे नहीं. प्लीज़ आज भी घर छोड़ दोगे?” वैशाली ने अतुल से पूछा. “नहीं” अतुल ने सख्त चेहरा बनाते हुए कहा. “कल भी तो छोड़ा था ना! पता भी है मेरे दिल पर क्या बीतती है जब तुम बाय बोल कर घर की तरफ चली जाती हो और मैं अकेला खड़ा रह जाता हूँ. नहीं!! मुझसे ना होगा! आज किसी और से कहो.”