गाँव वापसी

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परसाई महाराज ने अभी कुछ समय पहले ही तो गांव छोड़ा था।मैंने स्वयं उन्हें बहुत समझाया था कि - “महाराज पूरी जिन्दगी तो गाँव में ही गुजार दी है।वैसे भी सभी लोग आपको कितना मान देते हैं और फिर आप चले जाओगे तो गाँव में पण्डिताई का काम कौन करेगा।गाँव में ब्राह्मण का भी तो एक ही घर है।आजकल वैसे भी लोग पण्डिताई का काम छोड़कर नौकरी-धन्धे खोजने लगे हैं।” तब परसाई महाराज ने कहा था कि- “पण्डिताई में अब रखा ही क्या है! वैसे भी नई पीढ़ी के लोग इसे भिक्षावृत्ति कहने लगे हैं।आज के समय में इस