छोटी बहू

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कहानी [छोटी बहू ✍]******************मृणाल यह एक नाम जैसे ज़िन्दगी बन गया है ।पहले कभी वैसा महसूस ही नहीं किया जैसा उससे मिलने के बाद,वह जिस दिन हाँ कहेगी वह दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे खुशनुमा दिन होगा --इन्हीं भावों में डूबे हुए मेरे होठों पर मुस्कराहट तैर गयी ।"हूँ दादा !मन ही मन कौन से लड्डू खा रहे हैं जो इतना मुस्कुरा रहे है ।" मैने ध्यान ही नहीं दिया था कि कब मेरी छोटी बहन आकर मेरे पास बैठ गयीं "तुम छोटी हो न छोटी ही रहो ज्यादा बड़ों के जैसी बातें न किया करो ।" मैने बनावटी गुस्से से