सत्यम ब्रूयात

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ट्रेन जब ‘विश्वनाथ गंज’ स्टेशन पर रुकी तो दीनानाथ ने अपना झोला कंधे पर टांगा और सूटकेस उठाकर नीचे उतर गए प्लेटफार्म पर ट्रेन से उतरने और चढ़ने वालों की कुछ भीड़ थी चाय-समोसा बेचने वाले भी इधर-उधर दौड़ रहे थे दो मिनट रुककर ट्रेन जब चली गई तब स्टेशन पर भीड़ भी कम हो गई दीनानाथ ने अपना सूटकेस नीचे रखा और एक लंबी साँस लेकर प्लेटफार्म के चारों ओर नजर दौड़ाई खाने-पीने की सामग्री बेचने वाले कुछ ठेले, ठेले पर ही चलता-फिरता एक ‘बुकस्टाल’, चंद मुसाफ़िर तथा रेलवे कर्मचारी