अन्ना के पास बहुत सा समय खाली रहता। करने को कुछ विशेप नहीं था। ऐसे में वो स्वयं में खो जाती। कुछ न कुछ सोचती रहती। कमरे में अकेली बैठी प्रवासी जीवन पर सोचने समझने के प्रयास करती। अन्ना ग्रामीण जीवन में महिलाओं की स्थिति पर कार्य कर चुकी थी और इसी कारण महिलाओं, विशेप कर गरीब और दलित महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती थी। सामाजिक संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं और सरकारी प्रयासों से वह संतुप्ट नही थी।