पत्नी महिमा

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(१) पत्नी महिमा लाख टके की बात है भाई,सुन ले काका,सुन ले ताई।बाप बड़ा ना बड़ी है माई, सबसे होती बड़ी लुगाई। जो बीबी के चरण दबाए , भुत पिशाच निकट ना आवे।रहत निरंतर पत्नी तीरे, घटत पीड़ हरहिं सब धीरे। जो नित उठकर शीश झुकावै,तब जाकर घर में सुख पावै।रंक,राजा हो धनी या भिखारी, महिला हीं नर पर है भारी। जेवर के जो ये हैं दुकान ,गृहलक्ष्मी के बसते प्राण।ज्यों धनलक्ष्मी धन बिलवावे, ह्रदय शुष्क को ठंडक आवे। सुन नर बात गाँठ तू धरहूँ ,सास ससुर की सेवा करहूँ।निज आवे घर साला साली , तब बीबी के मुख हो लाली। साले साली की महिमा ऐसी, मरू में हरे