"मां आपने भईया को साइकिल लेकर दी उनके जन्मदिन पर और मुझे नहीं ",बेबी ने तुनक कर खाने की प्लेट नीचे फैंक दी ।"तुझे इस बार तेरे पापा ने कान की सोने की बाली लेकर दी है न , साईकिल दोनों मिलकर चला लेना ",मां ने बेेेबी को शांत करते हुए कहा ।"हां ,बेेेबी मैं साईकिल चलाऊंगा,तूू पीछे बैठ जाना ,जहां तू कहेगी वहीं चलेंगे ",राजू ने कहा ।पर बेबी को पीछे बैठना क्यों अच्छा लगता । उसके मन ने तो आगे बढ़ने के सिवाय न कभी कुछ सोचा ,न समझा ।उसके शिवसंकल्प वाले मन ने ऊंचा उड़ने के लिए