जब मैं पिता बना था तब मेरी कलम से अपनी पुत्री के लिए एक पत्र निकला था। आप सबके समक्ष प्रस्तुत है।?प्रिय पुत्री , 11 मार्च 2015 ये दिन खास था , हम दोनों के लिए । बहुत प्रतीक्षा कराने के बाद आखिरकार तुम मेरे जीवन में आ ही गईं । आज तुम्हारे लिए कुछ लिख रहा हूँ । जानता हूँ कि अभी तुम इसे पढ़ नहीं सकतीं । इसे कुछ वर्षों बाद पढ़ पाओगी और समझ और भी देर में पाओगी । पर ये बातें चिरस्थायी हैं , जब भी पढ़ोगी तब भी इनमें ताजगी रहेगी ।तुमने जीवन में आते