एक मोहब्बत ऐसी भी

  • 14.7k
  • 2
  • 3.9k

उस शाम उसे पहली बार देखा जब वो हमारे सामने वाले घर में अपने घर वालों के साथ रहने आया। मैं बालकनी पर खड़ी थी और वो नीचे ।उससे जब नजरें मिलीं तो बक्त जैसे धीमा सा हो गया था, हवाओं के साथ-साथ संगीत की धुनें भी बहनें लगीं थी, आसमान में चाँद आज और भी तेज़ चमकने लगा था,  जीवन इस पल से ज्यादा खूबसूरत कभी नही था उस एक पल में ही ज़िन्दगी सार्थक लगने लगीं थी जैसे इसी पल के बारे में तो मैं हमेशा सोचती रहती थी, जैसे यही तो वो पल था जिसकी मैं हमेशा