संवेदनाओं के स्वरः एक दृष्टि (8) पुरुषोत्तम हमारे देश का आम -आदमी साठ वर्ष बाद सठियाने लगता है, तभी तो बेचारों को सरकारी आफिसों से रिटायर्ड कर दिया जाता है । पर नेताओं की प्रजाति अन्य आदमियों से हटकर मानी जाती है । अस्सी-नब्बे की उम्र के बाद भी वह सारे राष्ट्र का भार अपने सिर पर उठा कर घोड़े की तरह दौड़ता है । फिर इतना ही नहीं वह देश के लिए कानून भी बनाता है, उसमें संशोधन भी करता है, और तोपों की सलामी के साथ अलविदा होता है इसलिए आज के युग में सर्वश्रेष्ठ पुरूषों में नेता