सावरकर माने तेज...सावरकर माने त्याग...सावरकर माने तप...सावरकर माने तत्व...सावरकर माने तर्क...सावरकर माने तारुण्य...सावरकर माने तीर...सावरकर माने तलवार...सावरकर माने तिलमिलाहट....वीर सावरकर part-३आप सभी का स्वागत ओर धन्यवाद है।वर्ष 1924 में उनको रिहाई मिली मगर रिहाई की शर्तों के अनुसार उनको न तो रत्नागिरी से बाहर जाने की अनुमति थी और न ही वह कुछ साल तक कोई राजनीति कार्य कर सकते थे।इसीलिए रिहा होने के बाद उन्होंने 23 जनवरी 1924 को ̔रत्नागिरी हिंदू सभा’ का गठन किया और भारतीय संस्कृति और समाज कल्याण के लिए काम करना शुरू किया। थोड़े समय बाद सावरकर तिलक की स्वराज पार्टी में शामिल हो गए