नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 6

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अभिमन्यु और कमला जब गांव पहुंचे तो रात गहरा चुकी थी। गॉंव सुनसान और नीरव था, अपने घर तक पहुचने में अभिमन्यु ने शीघ्रता बरती। घर के बाहर ही उसे अकबर मिल गया। ‘‘ कैसे हैं बाबूजी। ’’ अभिमन्यु ने अधीरता से पूछा। ‘‘ अब ठीक है। वे सो रहे हैं। मां उनके सिरहाने बैठी हैं। ’’ कमला तुरन्त भीतर चली गयी। वो मां से लिपटकर रो पड़ी। अभिमन्यु भी अन्दर आया। मॉं के चरण छुए। बाबूजी के बारे में पूछने लगा।