हवाओं से आगे - 19

  • 3.6k
  • 1.1k

अगले दिन वे सभी शालीमार बाग़ जाने के लिए निकल चुके थे । ऑफ सीज़न के कारण बाग में उजाड़ पड़ा था सिवाय कुछ चिनार के, जो शाखों से सूखे पत्तों को रह-रहकर झटक दे रहे थे मानों हालात के सुधारने की गुँजाइश लिए अपने होने की गवाही में कुछ उम्मीद भरे पत्र हवाओं के माध्यम से वादियों को भिजवा रहे थे । उनका समूह बाग़ के बीचोंबीच था कि तभी एक ख़बर आई कि कुपवाड़ा में सेना के कैम्प पर हमला हुआ है ।