रीता का कसूर अंतिम भाग

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   रीता २२- २३ साल की खुले विचारों की स्वाभिमानी नवयुवती थी । उसका मन बहुत मासूम था , वह असहाय और जरूरत मंदो की हमेशा मदद करती थी । वह किसी का दुःख नही देख सकती थी । वह जितनी सुंदर अंदर से थी, उतनी ही सुंदर बाहर से भी थी , उसका दुग्ध समान गोरा रंग, काले घने लहराते बाल और मृगनयनी आँखें उसके रूप पर चार चाँद लगाती थी । अगर यह कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उसकी सुंदरता किसी कवि की कल्पना से भी अधिक सुंदर थी । वह दिल्ली विश्वविद्यालय मे स्नातक की पढ़ाई