अपने गांव के घर में आकर अभिमन्यु ने सर्वप्रथम मॉं-बाप के चरण स्पर्श किये। दोनों बुजुर्गो ने उसे आशीपा। कुशल क्षेम पूछी। कमला की चोटी खींचकर अभिमन्यु ने उसे पूरे चौक में घुमाया। फिर अटैची खोलकर कमला के लिए फ्राक, बापू के लिए धोती कुर्ता और मां के लिए साड़ी निकाल कर दी। कमला ने फ्राक पहनी, इठलाती हुई गयी और अपने भाइ्र के लिए चाय बना लाई। चाय पीते हुए अभिमन्यु ने अपने बापू से कहा-