बचपन का दोस्त और मेरा जुर्म

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मेरी दोस्त मुझसे नाराज़ थी क्योंकि मेंने उसे कंजूस कि उपाधी  दी थी उसकी बात करु तो अब तक के मेरे  सबसे अच्छी दोस्त।       उसकी बात करु तो मुंह पर हंसी आ जाएं। उसकी बात सबसे अलग है उसका दुनिया को देखने का नजरिया भी सबसे अलग था। वह बात अलग है वह कभी कब आ रही मेरे काम आती पर शायद कहीं ना कहीं वो मेरे energy drink थी।                           हम बचपन से दोस्त हैं जब कभी भी उसे कोई तकलीफ हो या कोई भी समस्या