फ्यू -फाइन्ड इटर्निटी विदिन - क्योंकि लाइफ की ऐसी की तैसी न हो - भाग- 6

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३६) स्वयं को सर्वाधिक प्रामाणिक, पारदर्शक व बेबाक बताने की शेखी हर कोई बघारता है, जबकि वास्तविकता एकदम अलग ही होती है। अन्य लोगों के साथ तो ठीक, खुद अपने परिवार या अपने जीवनसाथी के साथ भी दिल की भावनाओं को स्पष्ट रूप से स्वीकारने वाले मुश्किल से ही मिलते हैं। सूर्यास्त के पश्चात् किसी गैर की रेशमी जुल्फों के साथ खेलने वाले की हरकतें पाप कही जाएंगी या नहीं, इस मुद्दे को एक तरफ रख दें। व्यवसाय, नौकरी, मित्रों आदि के साथ या फिर अन्य जगहों पर किये जाने वाले छोटे-बड़े पाप कई बार सूक्ष्म होते हैं, इसके बावजूद