हवाओं से आगे - 13

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“तुमको हम दिल में बसा लेंगे तुम आओ तो सही, सारी दुनिया से छुपा लेंगे तुम आओ तो सही, एक वादा करो कि हमसे ना बिछड़ोगे कभी, नाज़ हम सारे उठा लेंगे तुम आओ तो सही...” गजल ख़त्म होते ही एक वज़नदार आवाज़ उभरी थी “फरमाइशी कार्यक्रम में ये गज़ल लिखी थी ‘मुमताज़ राशिद’ ने और जिसे गाया था चित्रा जी ने ।“ उस रोज़ जगजीत सिंह व चित्रा सिंह स्पेशल कार्यक्रम चल रहा था, तभी विपिन ने पीछे से उसके कंधे को छुआ था ।