प्रोफेसर साहिब की लव स्टोरी

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हाथों में चाय का प्याला लिए हुए ,बाल्कनी में सुबह का दृश्य देखते देखते स्नेहा जी की सुबह होती, पर आज अचानक मन बीती यादों के पिटारे में से एक याद को खींच लाया ,यकीनन वो प्रोफेसर साहिब की यादों का पिटारा था, प्रोफेसर साहिब हमारी क्लास में केमिस्ट्री का लेक्चर लेने के लिए नए नए नियुक्त हुए थे। ज्यादा उम्र नही थी उनकी,दिखने में भी ठीक थे,वो उनका पहला दिन हमारी क्लास में,और मैं लेट पहुँची, वैसे मैं क्लास में हमेशा टाइम पर ही पहुचती थी,पर उस दिन दोस्तों के चक्कर मे कैंटीन में कब टाइम निकल गया पता ही