दीवार पर टँगी बड़ी सी घड़ी का सेकंड वाला कांटा घूम रहा है ,,,,वो गोल घूम रहा है हर नम्बर को पार करता बढ़ता जा रहा है ,,,वो घूम रहा है बढ़ते क्रम में ,,वो मानो बता रहा है कि मुझे वापस लाना मुमकिन नही ! मैं वहीं घूम रहा हूँ पर लगातार बढ़ रहा हूँ ,,,मैं वक्त की पहचान हूँ ! वक्त कभी नही रुकता वो बढ़ता ही जाता है और इसके ठीक उलट जिंदगी घटती जाती है,,,वक्त वो बादशाह है जो हमारी कामयाबी और हमारी खुशी का दिन मुक़र्रर करता है और उस पल को उससे