यादों के झरोखों से

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"तुम्हारी याद आती है" बरसता है जो ये सावन, तुम्हारी याद आती है, कहाँ तुम हो छुपे प्रियतम, हमें पल पल सताती है। लिखे जो खत तुम्हें मैंने, वो दिल की ही कलम से थे, मेरे अधरों की लाली पर लिखा, तुम ही बलम तो थे, तुम मेरी आँखों के काजल, ये आँखें डबडबाती हैं, कहाँ तुम हो छुपे प्रियतम, हमें पल पल सताती है। कहाँ ढूँढू, कहाँ पाऊँ, तुम्हीं संसार हो मेरे, अधूरी हूँ सजन तुम बिन, तुम्हीं श्रृंगार हो मेरे, तेरी यादों की थाती को ये पलकें भी सजाती हैं, कहाँ तुम हो छुपे प्रियतम, हमें