हवाओं से आगे - 7

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अमानत अली दसवीं पास करने के बाद एक दिन के लिए भी बेरोजगार नहीं बैठा, गरीब माता-पिता की हालत उससे छुपी ना थी पिता लुहारी मुहल्ले में किराने की छोटी सी दुकान चलाते थे, और माँ ने बैंक से लोन लेकर एक गाय और एक भैंस खरीद रखी थी जिनसे वह अपने बच्चों के लिए दूध-घी का बंदोबस्त कर लेती थी और बचे दूध को बेचकर घर खर्च लायक कुछ पैसे जमा कर लेती थी अमानत अली जानता था कि आगे पढ़ने की तीव्र इच्छा के होते हुए भी उसका आगे पढ़ पाना मुमकिन नहीं है, उसके आलावा उसके तीन छोटे भाई-बहनों का खर्चा उठाना अकेले उसके पिता के बस में ना था बस तभी से ही अमानत अली लोहे का सामान बनाने वाले एक कारखाने में काम करने लगा था