नियति - 3

(59)
  • 21.6k
  • 5
  • 13.5k

शिखा को नहीं पता वह कैसे सूटकेस लेकर कमरे से बाहर आई । घर में सन्नाटा था रिया को विदा करके सब बेसुध सो रहे थे । वह चुपचाप घर से बाहर निकल गई । ठंडी ठंडी हवा शरीर को चुभ रही थी लेकिन उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था । उसे नहीं याद वह कितना चली, कब उसे एक ऑटो दिखाई दिया और कब उस पर सवार होकर बस स्टैंड पहुंची। पौ फटने वाली थी, पहली बस भोपाल के लिए रवाना होने को तैयार थी। वह टिकट लेकर उसमें बैठ गई । होश उसे तब आया जब उसने अपने घर की घंटी दबाई।