एक सफ़र ऐसा भी

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क्या कमजोरियाँ है मेरी आपको लेकर ये सोचने में कितने कमजोर हो गए ये शिकायत ये झिझक ये आँसू जो कल मेरे थे क्या कमी रह गयी की आपकी ओर हो गए  //1//जब से जगा हूँ नीद आ रही है कोई आँखों के हालात समझता क्यों नही कब तक पीछा करें उसी ख़्वाब का इन आँखों में भला और कोई ख़्वाब जंचता क्यों नही //2//ख़्याल हम आपका करे तो गुनाह है क्या लोग इसमें भी मतलब क्यों चाहते है जिद्दी हो आप तो ठीक ही है बिना ज़िद के कुछ भी कहाँ हम चाहते है ? //3//हर बात निकालवा लेते है वो जो उनके मतलब की बात हो कोई मतलब नही