शराबी नहीं शराब खराब

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शराबी नहीं शराब खराब-मनोहर चमोली ‘मनु’मेरे बेवड़े दोस्त ! कैसे हो? यह पूछने का मन भी कहाँ है? भारी मन से तुम्हें यह पत्र लिख रहा हूँ। कैसे लिखूँ कि कैसे हो? कल तो तुमने ऐजेन्सी में मुझे भरी-दुपहरी में छप्पन गालियाँ दे दीं। तुम इतने टल्ली थे कि दुपहिया पे बैठ भी न पाए। वो तो भला हो रक्का का जो अपने दोस्त की सहायता से तुम्हें अपनी बाइक पर बिठा ले गया और घर छोड़ आया। मैं समझ सकता हूँ कि रक्का और उसके दोस्तों ने भी ज़िंदगी में ऐसी गालियाँ नहीं सुनी होगी, जो तुमने रास्ते भर