जब वह मिला - 3

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एक इंसान जो अब इस दुनिया में नहीं रहा उसके शरीर पर भी खिलवाड़, प्रतिशोध, वार। यह सोचते-सोचते मैं पुल के नीचे छाया में पहुंच गया। गोमती की धारा पुल से काफी आगे बीचो-बीच थी। वहां पांच-छः लोग और भी थे जो दीवार के सहारे टेक लगाए बैठे थे, ये गांजा, भांग, चरस, स्मैक का नशा करने वाले वह नशेड़ी टाइप के लोग थे, जो हनुमान सेतु मंदिर, इस पुल के बीच मंडराया करते हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों से जो कुछ खाने-पीने को और पैसे मिल जाते है उन्हीं से पेट भरते हैं और नशे का जुगाड़ करते हैं। मैं उन सबसे चार क़दम पहले खड़ा सोच ही रहा था कि क्या करूं तभी देखा गोताखोर भी वहीं आ कर बैठ गया।