मंजिल प्यार की

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"   शिवम अरे आ भी जाओ ना यार... क्या हो गया तुम्हारी आंखों को..."   " आज पता नहीं क्या हुआ ..."" रुको तुम यह सेहरा लगा के देखो "  शिवम की आंखें लाल थी और वह शेरवानी पहने हुए आंखों में जैसे समंदर को थाम रहा था।" सॉरी बेटा तुम्हें परेशान किया ...वो क्या है कि रोनित की कदकाठी हमारे घर में और किसी से मैच नहीं करती इसलिए तुम्हें यहां पर लाना पड़ा..... सुरभि बहुत लकी है जो उसे तुम्हारे जैसा दोस्त मिला .....वरना इतनी जिम्मेदारियां कौन सा दोस्त सम्भालता है  ..." सुरभि की मां ने शिवम की पीठ