मन कस्तूरी रे - 11

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रेस्टोरेंट से वे दोनों सीधे शेखर के फ्लैट पर चले गए। शेखर जल्दी ही विदेश चले जाएँगे यह ख्याल स्वस्ति अपने मन से निकाल नहीं पा रही है। इससे पहले भी वे देश विदेश की यात्राओं पर जाते रहे हाँ पर स्वस्ति ने ऐसा कभी फील नहीं किया। अपने मन की इस उथलपुथल पर आज उसका कोई नियन्त्रण क्यों नहीं है! जबकि वह कितनी संयमित और संतुलित है इसकी प्रशंसा स्वयं शेखर भी करते रहे हैं! उसके व्यक्तित्व के ठहराव और परिपक्वता के वे कायल हैं! वह खुद नहीं जान पा रही है कि उसे क्या हुआ है? क्या स्वस्ति बदल रही है। शायद हाँ, अपने प्रेम से उसकी उम्मीदें और ख्वाहिशें दोनों बदल रही हैं पर इसमें गलत भी क्या है। अंततः वे दोनों प्रेमी हैं। ये कोई अनोखी बात तो नहीं! वह अपने प्रेमी के इतने समय तक विदेश जाने से पहले का समय उनके साथ बिताना चाहती है। सिंपल....!