दाना डाकू

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कहीं सारे घोड़ो की दोडने की आवाझ आईं और पुरे गांव मे अफरा तफरी मच गई लोग इधर-उधर भागने लगे कोई अपना सामान छोड भागता तो कोई आनन-फानन मे जितना हाँथ लगा उतना ले भागता। लोग इस तरह भाग रहे थे मानों भूकंप आ गया हो। और जो आया था वो भूकंप से कम ना था। वो भूकंप दाना डाकु था। जिसके लिए सैकड़ों जाने लेना भी मामूली बात थी। दाना डाकू का डर कईं गांव कई शहरों और कईं जिलों तक था। उस की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उससे पोलिस भी डरती