हॉस्टल से घर जाने का मज़ा ही कुछ और होता है... पता है क्यों..?क्यों की घर पे माँ होती है... कितने दिनों बाद में आज घर जाउंगी...माँ के हाथ का खाना खाऊँगी, घर पे पोहचते ही माँ को कस के गले से लगा लुंगी...और दो तीन पप्पीया भी ले लुंगी.. तू कभी बड़ी नही होगी सिमा,बच्चो जैसी हरकते करती है ..माँ हमेशा की तरह यही बात बोलेगी.. बच्चे कभी माँ के लिए बड़े थोड़ी होते हैं माँ,माँ के लिए तो बच्चे छोटे ही रहते हैं..में तो हमेशा ऐसी ही हरकते करुँगी बच्चो वाली ..और में हमेशा की तरह वही लाईन बोलूंगी..