मन कस्तूरी रे - 8

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ये प्रेम शब्द ही ऐसा है। विचित्र सी मिठास से भरा एक शब्द और कैसी है ये मिठास, क्या इसे कभी कोई परिभाषित कर पाया है। दरअसल ये तो गूंगे का गुड़ है जो मुंह में घुलकर आत्मा तक को मिठास से तो भर देता है पर जिसका स्वाद बता पाना उसके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। कम से कम दुनियावी जबान में तो यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं!