पहला ख़त

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पहला ख़त !! तेज़ भागने के बावजूद मेरी क़मीज़ थोड़ी भीग गयी थी । मेस से हॉस्टल का रास्ता खुले आसमान से गुज़रता था और अगस्त की बारिश कश्मीर में कोई नयी बात नहीं थी । मुझे हज़रतबल रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज में दाख़िला लिये पूरा एक महीना हो चला था । मैं लखनऊ से वहाँ पढ़ने आया था और मेरे जैसे कई और आये थे हिन्दुस्तान के कोने कोने से । कश्मीर में उस समय अलगाव वाद तो न था लेकिन आमतौर पर कश्मीरी अपने को आज़ाद कश्मीर का मानते थे और हमें हिन्दुस्तान का । एक तरफ़ कश्मीरी लड़के