1 - जब हम शिकार पर गये, 2 - जंगल की शैर

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( अ ) जब हम शिकार पर गये.------ "प्लीज़ दादी, अपने जीवन की कोई मनोरन्जक घटना सुनाइये”- मेरे पौत्रों सौम्य एवं शौर्य ने आग्रह करते हुए कहा तभी मेरी संस्था ज्ञानप्रसार संस्थान में शिक्षा पाने आये बच्चे भी प्रफुल्लित होकर चीख पड़े--" प्लीज़ आन्टी, सुनाइये न.” मैं असमन्जस में थी कि अचानक बच्चों के लिये टी.वी. के डिस्कवरी चैनेल पर चलाये गये वाइल्ड लाइफ़ के कार्यक्रम में