रुख़सार,,

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साल 1992 उत्तरप्रदेश का एक छोटा सा गांव -अम्मी,, अम्मी आप समझाइये ना अब्बू को,,, रुखसार अपनी बड़ी-बड़ी काली आंखों में मोटे-मोटेआंसू लिए अपनी अम्मी के पीछे-पीछे डोल रही थी।अम्मी में एक बार उसकी तरफ देखा और मुंह घुमा लिया, अम्मी के चेहरे पर बेचारगी के निशान साफ नजर आ रहे थे।अम्मी,, हम अपने हर दर्ज़े में अब्बल आते रहे हैं पढ़-लिख कर हम कुछ बनना चाहते है हम अपनी ज़िंदगी मे कुछ अच्छा करना चाहते हैं,, रुखसार लगभग रोते हुए बोली।हम कुछ मदद नहीं कर सकते मेरी बच्ची,, जमीला(अम्मी) की आवाज़ बेबशी से भीगी हुई थी।तुम्हारे अब्बू तो प्राइमरी