परीक्षा को न बनाएॅं हौव्वा परीक्षा आते देख बच्चे व माता-पिता भी तनावग्रस्त हाने लगते हैं पर आवश्यकता है धैर्य की ताकि विवेक से आने वाले कल के लिए तैयार हो सकें। अभिभावक बच्चों के मनोबल को कमजोर न पड़ने दें, उनके आस पास रहें पर उन्हें स्वयं से तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित करें। प्रत्येक माता-पिता को यह बात समझने की आवश्यकता है कि हर एक बच्चा कक्षा में प्रथम नहीं आ सकता, सभी बच्चों की क्षमता एक सी नहीं होती। कोई छात्र कम समय में भी कंठस्थ कर लेता है तो किसी को ज्यादा समय की आवश्यकता पड़ती