बेचारे पुरुषों का दर्द कौन समझे ?

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मैं जैसे ही ऑफिस में लंच के लिए बैठा तो फोन रनकने लगा ! देखा तो, बॉस का कॉल । अरे, उसे कॉल क्यो कहु ? आफ़त की पुड़िया कहु तो ही बेहतर होगा । सुबह में कॉलेज और घर की भागमदौड़ी के बिच आज फिर ऑफिस में लेट हो गया । चलो लेट हो गया, कोई बात नही पर ऊपरवाला भी न, मेरे साथ ही खेल खेलता है । रोज मैं कॉलेज का एक लेक्चर बंक करके ऑफिस जल्दी आता हु तो बॉस लेट आता है और आज जब मैं लेट आया तो, देखो बॉस जल्दी आ