सचमुच इस जहाँ में तुम-सा कोई नहीं

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सचमुच हम ही तेरी दुनियाँ में ,ऐसे आशिक - दिवाने होंगे ,जिसके इश्क़ को देखकर तेरा तो पता नहीं पर दुनियाँ जरुर दंग रह जाएगी !तेरे ही इश्क़ के पीछे ,सरेआम इतना बदनाम हो जाऊँगा ,कि तू भी रह जाएगी पीछे !इसी खुले गगन के नीचे ,खिलेगी फूल बनकर तू, मैं बनकर भौंरा तेरे पीछे !कि अरसों से मैं देख रहा हूँ ,तुम - सा यहाँ ना कोई है ! जितना अब मैं यहाँ अकेले तरस रहा हूँ ,उतना क्या तरसे कोई रे ! घूँट - घूँट कर अश़्क ही सारा पी रहा हूँ, और रात - रात भर मोहि नींद ना आवे, बता बावरी! तू कैसे बिन