हिन्दी लघुकथा के क्षेत्र में विषय केन्द्रित लघुकथा लिखने को प्रेरित करना और उन्हें प्रश्रय देना मुख्यत: इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के प्रथमार्द्ध की देन है। विषय-केन्द्रित लघुकथा लिखने के औचित्य अथवा अनौचित्य पर ‘क्षितिज लघुकथा सम्मेलन-2018’ में एक सत्र में चर्चा की गयी थी। उस पर बोलते हुए कथाकार सुभाष नीरव ने जो कुछ कहा, उसका आशय था—‘नवोदितों को विषय की बेड़ियों में मत बाँधो, उन्हें उड़ने को खुला आकाश दो।’ तात्पर्य यह कि नया कथाकार भी विषय के बंधन से मुक्त रहना चाहिए। उनका यह वक्तव्य अगले दिन अखबारों की हैड-लाइन बना था।