कहाँ है इंसानियत ?

(22)
  • 8.9k
  • 1
  • 1.3k

आज सर्दी बहुत थी मैंने सोचा थोड़ा धूप लेकर आता हु. मै बगीचे के पास जाकर बैठ गया बगीचे मे बहुत लोग थे वो भी सर्दी का आंनद ले रहे थे सूरज कि किरणे धीरे -धीरे आ रही थी ये किरणे बड़ी आकर्षित लग रही थी ठंडी -ठंडी हवा मे धूप तो मानो ऐसी लग रही थी जैसे प्यासे को पानी और भूखे को खाना मिल गया हो सभी बच्चे बुजुर्ग और तरह -तरह के लोग वहां पर इस ऊर्जामय धूप का लुफ्त उठा रहे थे . तभी अचानक एक बूढी औरत धीरे -धीरे बगीचे कि तरफ आ रही थी