काश आप कमीने होते ! - 2

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दुबारा शाम को भी सिन्हा जी उसी का प्रवचन सुनते हुए दफ्तर जाते। अखबार के दफ्तर में पांव पड़ते ही, दस मौडम और पांच ब्यूरो के फोन कान को चैन ही नहीं लेने देते। मुख्यालय के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग, डे प्लानर के हिसाब से आई खबरों की पड़ताल, डेस्क पर आई खबरों की स्टोरी लाईन, फिर कापी राइटिंग, वैल्यू एडीशन। ओहदा बढ़ने पर भी रोज कम से दो-तीन खबरों की कापी राइटिंग वह जरूर करते। जबकि इसकी जरूरत रह नही गई थी। जिम्मेवारी काफी बढ़ गई थी। इंटरनेट संस्करण के लिए खबर देना। खबरों को पढ़ने, संपादित करने के लिए बांटना। सेंट्रल डेस्क के काल्स पर ‘सर-सर’ करना सो अलग।