बिना मेकअप की सेल्फ़ी

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पर शब्द है कि मुझे त्यागकर ब्रह्माण्ड में विलीन हो गए है, लाख कोशिशों के बाद भी जैसे मुँह से हवा ही निकल रही हैI किसी भी भाषा के शब्द मेरे मुँह से फूट ही नहीं रहे हैI टूटी घड़ियाँ, तीन टाँगों पर हवा के साथ लहराती कुर्सियाँ और चिटके हुए काँच के गिलास मेरी आँखों के सामने नाच रहे हैंI मुँह खोलने से पहले हज़ार बार सोचना पड़ रहा है कि अपनी बात को किस तरह से व्यक्त करूँI अगर मैंने इतनी गंभीरता से कभी अपने टीचर की बात को लिया होता तो आज कुछ भी होता पर झोलाछाप लेखक तो कतई ना होताI