सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

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सुप्रीम कोर्ट की हालात (घर की मुर्गी दाल बराबर) जैसी हों गई है,,या यूं कहें, 45 का पती देव बन गया है,, न बच्चे सुनें, न घरवाली,आते जाते पड़ोसी भी कुछ बोल कर चले जाते ,आज तों हमारे काका के पड़ोसी, बनवारी लाल से बिच बाजार में मुलाकात हो गई ,वहीं 45 वाले पति देव, घर में तो कोई सुनता नहीं है, सोचा अच्छा मौका है भड़ास निकालने का- मेंने रास्ते से दूर निकलकर अनदेखा करना चाहा ,पर उनसे पहले तो आवाज आ गई , ओ माही कहां जा रहा है इतनी रात को,, मैंने कहा ओह चाचाजी आप, यहां