अब आप ही बताइए मित्रों , इस दया याचिका से एक साधारण व्यक्ति को क्या समझना चाहिए यही कि वीर सावरकर अंग्रेजों के चाटुकार थे या फिर उन्होंने माफी मांग कर अपने आपको जेल से बाहर निकालने के लिए गलत कदम उठाया, और यह काम ना करते हुए उन्हें जेल में ही रहना चाहिए था और वही पर मर जाना चाहिए था, तब वह शायद देशभक्त कहलाते कुछ लोगों के नजर में। महात्मा गांधी जी भी और उनके सभी अनुयाई लोग अंग्रेजों के संविधान में आस्था रखते थे तो आस्था रखने वाले देशद्रोही तो नहीं हुए ना ,तो वीर सावरकर जी कैसे हो।