मेरा पहला दिन

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सोचा फिर मेहनत करके लिखूंगी। और फिर लिखना शुरू किया। कहानी फिर लिख गई। जमा भी कर ली गई।पर संदेश पाने की चाहत में पूरा दिन निकल गया। शाम हो चली। बार बार मोबाइल देखती, कि कहीं कोई संदेश तो नहीं आया। फिर मोबाईल में हल्की घंटी बजती है। देखने पर पता चला कि जिसका इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है वो पल आ गया। मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। मेरी कहानी के प्रकाशन की तारीख जो मिल गई थी। मां ,पिताजी , रिश्तेदार, दोस्तों , सबको बता डाला। ऐसा लगा मानो मेरी मंजिल का वो रास्ता मिल गया, जहां मेरे सपने मेरा इंतजार कर रहे हैं। बधाइयां मिली। और मैं खुश होती....